24 Nov 2012

मंजिल और रास्ता

सफलता की दौड़ , रफ़्तार बहुत तेज रखनी पड़ती है | सबको मंजिल तक पहुँचने की जल्दी रहती है |
लेकिन क्या हम जिस मंजिल के पीछे दौड़ रहे , वास्तविकता में वही हमारी मंजिल है ?
क्यूँ हम में से ज्यादातर उस काम को कर रहे हैं जिसमें उनका मन ही नहीं लगता ?
क्या भेड़ की तरह आँख मूंदकर बस चल भर देने से मंजिल मिल जायेगी ?


कभी चंद लम्हों को रुक कर तो देखो ,

आँखों पे पलकों को ढँक कर तो देखो ,

बहुत खूबसूरत है ख्वाबों की दुनिया ,

ख्वाबों में रंगों को भरकर तो देखो ,

मंजिल को पाने का मतलब हमेशा ,

ख्वाबों को अपने भुलाना नहीं है ,

तेरी आँखें जागी हैं इतना सफर में ,

कि सोने का मतलब तो जाना नहीं है ||



सफर कितना लम्बा , तुझे ये पता है ?

सफर कौन तेरा , क्या ये जानता है ?

तेरी कौन मंजिल , कभी सोच पाया ?

क्या सपनों को ढंग से कभी देख पाया ?

चलता तो है भेड़ भी मस्त होकर ,

मगर सिर्फ चलना ही पाना नहीं है ,

तेरी आँखें जागी हैं इतना सफर में ,

कि सोने का मतलब तो जाना नहीं है ||



जिस पर सभी चल रहे आँख मूंदे ,

उसी राह चलना जरूरी नहीं है ,

सभी का सफर उतना अच्छा हो ; शायद ,

सभी के लिए ये जरूरी नहीं है ,

तेरी क्या खुशी है ; कभी खुद से पूछो ,

कभी अपने रस्ते भी ; चलकर तो देखो ,

मंजिल तो प्यारी लगेगी ; मगर ,

रास्ता खुद-ब-खुद एक साथी लगेगा ,

तू चल तो पड़ा है ; मूक बनकर डगर ; वो ,

जिसे आज तक अपना माना नहीं है ,

तेरी आँखें जागी हैं इतना सफर में ,

कि सोने का मतलब तो जाना नहीं है ||



ये पल ; एक पल में गुजर जायेगा ,

तू क्यूँ अगले पल के भरोसे टिका है ,

कितने बड़े सूरमा भी हुए हैं ,

ये पल आज तक न किसी को रुका है ,

अभी ये जो पल है ; यही तेरा पल है ,

तू जी ले तेरी जिंदगी आज इसमें ,

नहीं सोच अगला कोई पल मिलेगा ,

बचे ख्वाब अपने जियेगा तू जिसमें ,

उसे मान मंजिल जिसे दिल भी माने ,

तो हर पल में फिर से उम्मीदें जगेंगी,

तेरी जिंदगी है ; तुझी को है जीना

मगर “सिर्फ जीना” ही जीना नहीं है ,

तेरी आँखें जागी हैं इतना सफर में ,

कि सोने का मतलब तो जाना नहीं है ||
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6 comments:

  1. मदिरालय जाने को घर से,चलता है पीने वाला,
    किस पथ से जाऊं,असमंजस में है वह भोला भाला,
    अलग अलग पथ बतलाते सब,पर मैं यह बतलाता हूँ,
    राह पकड़ तू एक चला चल,पा जाएगा मधुशाला!!
    /
    आज तुमरा कबिता से ई लगा कि ऊ राह जिसको पकडकर चलना है ऊ अगर ऐसा राह हो जो दिल का सोचा हुआ, दिल से माना हुआ और दिल को सांति देने वाला हो तब सफलता निश्चित है, मंजिल एकदम सामने.. जो राह चुनी तूने-उस राह पे राही चलते जाना है!!

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  2. super lyk mishra ji :)
    aap tho chupa rustam nikle (y)

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  3. very nice,,
    kya maine ise phle b pada h ??

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  4. तुम्हारे मन का अंतर्द्वंद सॉफ झलक रहा है तुम्हारी रचना में आकाश ! कभी शांति से बैठकर अपने दिल को टटोलो...फिर सोचो क्या करना है, कैसे आगे बढ़ना है.... ! ज़रूरी नहीं, तुम भी भेड़-चाल का हिस्सा बनो, मगर ज़िंदगी में कुछ उसूल, कुछ बातें ज़रूरी होतीं हैं... उनको ध्यान में रखकर आगे क़दम बढ़ाओ...!
    Wish you all the best !:)
    ~God Bless !!!

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  5. "जो वक्त ने राह दिखाई है,ज़िंदगी को उसकी खबर नही है मुझको,पर उस राह पर चलना बखूबी जानता हूँ मै..."
    बहुत ही प्रेरणात्मक रचना...और साथ ही साथ इस छुटका की तरफ से best of luck.. :))

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  6. खूब!
    एक कविता की पंक्तियां याद आ गयीं:
    "जो सुमन बीहड़ों में वन में खिलते हैं
    वे माली के मोहताज नहीं होते,
    जो दीप उम्र भर जलते हैं
    वे दीवाली के मोहताज नहीं होते।"

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